Category Archives: HIndi-News

Good Initiative, Ms. Kiran Bedi!

 No just us, there are several out there who are doing splendid Seva to Bharat.

Ms. Kiran Bedi has started a very useful service to connect the thousands of simple folk who run into roadblocks when they wish to register a police complaint for one genuine reason or the other.www.saferindia.com is an online initiative by Ms. Bedi that steps in when a police station refuses to register a genuine complaint. Continue reading Good Initiative, Ms. Kiran Bedi!

“aisi apni wife ho” jabardast hai

Note: Fwd mail

Aisi apni wife ho

5″7′ jiski height ho,
Jeans jiski tight ho,
Chehera jiska bright ho,
Weight mein thodi light ho,
Umar me difference slight ho,
Thodi si woh quiet ho,
Aisi apni wife ho. Continue reading “aisi apni wife ho” jabardast hai

Keep Religion and CASTE out of Politics and India will be the most peaceful place on world

Not sure of the source or its veracity!  A forward I received.

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HINDUISM – CRISTIANISMO – MAHOMETISMO – INDUISMO

Very Interesting facts!

Christianity .One Christ, One Bible ReligionYou know the Latin Catholic will not enter Syrian Catholic Church.

These two will not enter Marthoma Church.

These three will not enter Pentecost Church.These four will not enter Salvation Army Church.These five will not enter Seventh Day Adventist Church.

These six will not enter Orthodox Church.These seven will not enter Jacobite church. Like this there are 146 castes in Kerala alone for Christianity,
each will never share their churches for fellow Christians..!

Wonderful..! One Christ, One Bible, One Jehova…. 
What a unity!

Now Muslims..! One Allah, One Quran, One Nebi…..! Great unity! Among Muslims, Shia and Sunni kill each other in all the Muslim countries.
The religious riot in most Muslim countries is always between these two sects.

The Shia will not go to Sunni Mosque. 
These two will not go to Ahamadiya Mosque.
These three will not go to Sufi Mosque..These four will not go to Mujahiddin mosque.
Like this it appears there are 13 castes in Muslims. 

Killing / bombing/conquering/ massacring/. .. each other !

The American attack on the Muslim land of Iraq is fully supported by all the Muslim countries surrounding Iraq! 
One Allah, One Quran, One Nebi….! Great unity ! 
All Muslims are not Terrorists, but all Terrorists are Muslims. 60% of all victims of Muslim terrorism are Muslims.
 
Hindus – 1,280 Religious Books, 10,000 Commentaries,
more than one lakh sub-commentaries for these foundation books, 330 million gods, variety of Aacharyas, thousands of Rishies, hundreds of languages…

still everyone goes to the SAME TEMPLE, or any and all temples….

whether unity is for Hindus or in others?
Hindus never quarreled with each other for the last ten thousand years in the name of religion.

 Only Politicians had tried to divide and rule.
 Keep Religion and CASTE out of Politics and India will be the most peaceful place on earth.

Fwd: मीडिया की साख का सवाल (The question of the credibility of the media)

मीडिया की साख का सवाल

तारीख: 30 Nov 2013 15:02:53
समय किसी का गुलाम नहीं होता और इसीलिए कभी-कभी घटनाएं आपस में टकरा जाया करती हैं। घटनाओं की इस रगड़ में संदर्भों की ऐसी खास कौंध पैदा होती है कि सब कुछ साफ-साफ दिखने लगता है।
कांची कामकोटि पीठ के अधिपति को न्यायालय द्वारा आरोप मुक्त किया जाना और बलात्कार के आरोपी तहलका संपादक के पक्ष में मीडिया की लामबंदी ऐसी ही दो घटनाएं हैं जो समय के इस मोड़ पर आ टकराई हैं, और इस बार जो दिख रहा है वह है मीडिया का राष्ट्रघाती-पक्षपाती रूप।

11 नवंबर 2004 को जब कांची कामकोटि पीठ के 69 वें पीठाधिपति परम पावन शंकराचार्य पर आरोप लगे थे तो संपूर्ण हिन्दू समाज के लिए यह आक्षेप अकल्पनीय था। मुख्यधारा मीडिया के एक बड़े भाग ने मामले को नाटकीयतापूर्ण अलग दिशा देने के लिए उस समय जैसी भूमिका निभाई वह और ज्यादा आधात पहुंचाने वाली थी। अखबारों और पत्रिकाओं के पहले पन्ने पर, आवरण कथाओं में हिन्दू समाज की संत परंपरा को सत्ता और संपत्ति केंद्रित बताने का कैसा कलुषित षड्यंत्र चला यह सबने देखा।
 आज अंगुली दूसरों को चुन-चुनकर निशाना बनाने वाले उसी मीडिया के मठाधीशों और उनकी पालेबंदी पर है। ज्यादा दिन नहीं हुए जब ‘हंस’ बनकर बैठे एक अन्य बगुले का असली रूप उगाजर हुआ था। दूसरों पर अंगुली उठाने वाले खुद कैसे ‘दूध के धुले’ हैं और अपनी बात आने पर कैसी न्यायप्रियता दिखाते हैं यह लोगों को तहलका कांड में
दिख गया।
एक वर्ष पहले वसंत विहार बलात्कार कांड के वक्त निर्भया को न्याय दिलाने की मुहिम चलाने वालों के होठ एकाएक सिल गए, जंतर-मंतर पर मोमबत्ती जलाने वालों के चेहरे बुझ गए। संपादक की करतूत देश के सामने आने के बाद कोई नारीवादी संगठन तहलका दफ्तर पर तख्ती लेकर
नहीं पहुंचा।
तहलका संपादक की कुत्सित यौन लिप्सा का शिकार (नए कानून के अनुसार संभवत: इसे बलात्कार कहना ही ठीक है) हुई पत्रकार ने प्रबंधन को आपबीती साफ-साफ बताई लेकिन दूसरों की खबरें खोज-खोज कर निकालने वाले पहले-पहल यह पत्र ही हजम कर गए। किसी तरह खबर बाहर निकल गई तो सामने आया गोलमोल अंग्रेजी में लिखा एक ऐसा माफीनामा जिसे तरुण तेजपाल के प्रायश्चित पत्र के तौर पर महिमा मंडित करने का प्रयास शुरू हुआ। सेकुलर झंडाबरदारों में अंदरखाने बातें हुईं, और इसके बाद दिखा मुख्यधारा के मीडिया का स्पष्ट दोमुहांपन। स्टिंग और ह्यसुपारी पत्रकारिताह्ण के लिए कुख्यात खेमों के पक्ष में संपादकीय पृष्ठ पर और सोशल मीडिया के मंचों पर रहम की आवाजें उठने लगीं।
विडंबना देखिए, संस्कृति को लगातार निशाना बनाने वाले साहित्यकारों ने पूछा-क्या क्षमा कोई मूल्य नहीं है?
कमजोर की हिमायत करने वाले लेखकों ने पूछा-क्या तरुण तेजपाल अकेले अपराधी हैं?
गंदगी को ढकने के लिए धुली-मंझी अंग्रेजी में तर्कों की चादर बुनते पत्रकारों ने पूछा -क्या किसी ‘शराबी की दिल्लगी’ को इतना तूल देना सही है?
जनता सवालों के जवाब देने की बजाय वामपंथी विचार मंडी का यह पूरा खेल खामोशी से देख रही है। समय परीक्षा लेता है। श्रद्धेय पीठ और पावन परंपरा को लांछित करने के कुत्सित प्रयासों के विरुद्ध हिन्दू समाज ने धैर्यपूर्वक यह परीक्षा पास की है। मीडिया के एकपक्षीय ह्यपैकेजह्ण भी खूब देखे हैं, आज परीक्षा उसी मीडिया की है जो सेकुलर लबादा ओढ़ हिन्दुत्व और राष्ट्र की प्राणशक्ति पर आघात करता रहा और आज खुद कठघरे में है।
शंकराचार्य को दोषमुक्त किए जाने पर सुर्खियां नहीं हैं। मीडिया की क्षमामुद्रा भी नहीं है। जंतर-मंतर पर इस बार मोमबत्तियां भी नहीं हैं। मगर वहां से गुजरते ‘जनपथ’ पर  बातें जरूर चल रही हैं। लोग सच जानते हैं, और सच की सलीब, न्याय के इन स्वयंभू मसीहाओं की नियति है।  


 

Best regards
H.C.CHHATWAL

हार्ट अटैक: ना घबराये ……!!!

हार्ट अटैक: ना घबराये ……!!!

सहज सुलभ उपाय ….
99 प्रतिशत ब्लॉकेज को भी रिमूव कर देता है पीपल का पत्ता….

पीपल के 15 पत्ते लें जो कोमल गुलाबी कोंपलें न हों, बल्कि पत्ते हरे, कोमल व भली प्रकार विकसित हों। प्रत्येक का ऊपर व नीचे का कुछ… भाग कैंची से काटकर अलग कर दें।

पत्ते का बीच का भाग पानी से साफ कर लें। इन्हें एक गिलास पानी में धीमी आँच पर पकने दें। जब पानी उबलकर एक तिहाई रह जाए तब ठंडा होने पर साफ कपड़े से छान लें और उसे ठंडे स्थान पर रख दें, दवा तैयार।

इस काढ़े की तीन खुराकें बनाकर प्रत्येक तीन घंटे बाद प्रातः लें। हार्ट अटैक के बाद कुछ समय हो जाने के पश्चात लगातार पंद्रह दिन तक इसे लेने से हृदय पुनः स्वस्थ हो जाता है और फिर दिल का दौरा पड़ने की संभावना नहीं रहती। दिल के रोगी इस नुस्खे का एक बार प्रयोग अवश्य करें।

* पीपल के पत्ते में दिल को बल और शांति देने की अद्भुत क्षमता है।
* इस पीपल के काढ़े की तीन खुराकें सवेरे 8 बजे, 11 बजे व 2 बजे ली जा सकती हैं।
* खुराक लेने से पहले पेट एक दम खाली नहीं होना चाहिए, बल्कि सुपाच्य व हल्का नाश्ता करने के बाद ही लें।
* प्रयोगकाल में तली चीजें, चावल आदि न लें। मांस, मछली, अंडे, शराब, धूम्रपान का प्रयोग बंद कर दें। नमक, चिकनाई का प्रयोग बंद कर दें।
* अनार, पपीता, आंवला, बथुआ, लहसुन, मैथी दाना, सेब का मुरब्बा, मौसंबी, रात में भिगोए काले चने, किशमिश, गुग्गुल, दही, छाछ आदि लें । ……

तो अब समझ आया, भगवान ने पीपल के पत्तों को हार्टशेप क्यों बनाया..

शेयर करना ना भूले…..
Via Carttons Againest CurroptionsSee More

15 great thoughts By Chanakya

15 great thoughts By Chanakya
चाणक्य के 15 सूक्ति वाक्य —- .
1. “दूसरो की गलतियों से सीखो अपने ही ऊपर प्रयोग करके सीखने को तुम्हारी आयु कम पड़ेगी.”
2.”किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार (सीधा साधा ) नहीं होना चाहिए —सीधे वृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते हैं.”
3.”अगर कोई सर्प जहरीला नहीं है तब भी उसे जहरीला दिखना चाहिए वैसे डंस भले ही न दो पर डंस दे सकने की क्षमता का दूसरों को अहसास करवाते रहना चाहिए. “
4.”हर मित्रता के पीछे कोई स्वार्थ जरूर होता है –यह कडुआ सच है.”
5.”कोई भी काम शुरू करने के पहले तीन सवाल अपने आपसे पूछो —मैं ऐसा क्यों करने जा रहा हूँ ? इसका क्या परिणाम होगा ? क्या मैं सफल रहूँगा ?”
6.”भय को नजदीक न आने दो अगर यह नजदीक आये इस पर हमला करदो यानी भय से भागो मत इसका सामना करो .”
7.”दुनिया की सबसे बड़ी ताकत पुरुष का विवेक और महिला की सुन्दरता है.”
8.”काम का निष्पादन करो , परिणाम से मत डरो.”
9.”सुगंध का प्रसार हवा के रुख का मोहताज़ होता है पर अच्छाई सभी दिशाओं में फैलती है.”
10.”ईश्वर चित्र में नहीं चरित्र में बसता है अपनी आत्मा को मंदिर बनाओ.”
11. “व्यक्ति अपने आचरण से महान होता है जन्म से नहीं.”
12.”ऐसे व्यक्ति जो आपके स्तर से ऊपर या नीचे के हैं उन्हें दोस्त न बनाओ,वह तुम्हारे कष्ट का कारण बनेगे. सामान स्तर के मित्र ही सुखदाई होते हैं .”
13. “अपने बच्चों को पहले पांच साल तक खूब प्यार करो. छः साल से पंद्रह साल तक कठोर अनुशासन और संस्कार दो .सोलह साल से उनके साथ मित्रवत व्यवहार करो.आपकी संतति ही आपकी सबसे
अच्छी मित्र है.”
14. “अज्ञानी के लिए किताबें और अंधे के लिए दर्पण एक सामान उपयोगी है .”
15. “शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है. शिक्षित व्यक्ति सदैव सम्मान पाता है. शिक्षा की शक्ति के आगे युवा शक्ति और सौंदर्य दोनों ही कमजोर हैं

NOTICE

अत्यंत हर्ष के साथ सूचित किया जाता है कि हमारी अपनी कांग्रेस का 08 दिसंबर को उठावना है जब 4 राज्यों के परिणाम आयेंगे तो कांग्रेस का उठावना बड़े धूमधाम से मनाया जायेगा आप सभी आमंत्रित है 

1like kar ke shanti de
समस्त भारत में लगभग 1000 बड़े accounts हैं जिनके पीछे सभी banks लगी पड़ी है और इनमें से कुछ डूबती हैं तो बैंक को भारी घाटा होता है यदि बैंक्स छोटे नए व्यापारियों को सस्ता लोन दें तो येही कुछ छोटे व्यापारी कल के टाटा बिरला बनेंगे जिससे बैंक्स आगे survive कर पायेगे 

मीडिया को फुर्सत नहीं कि इस ओर झांके?

दिल्ली में गौ भक्त फैज़ और साथियों का आमरण अनशन
गिरीश पंकज
988353_291719470982251_319960090_nभारत में गो-हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध हेतु दिल्ली स्थित जंतर-मंतर पर 10 नवम्बर से 9 लोग आमरण अनशन कर रहे हैं. ये लोग अपना जीवन होम करने का संकल्प ले कर बैठे हैं, मगर धन्य है इस देश का मीडिया जिसे फुरसत नहीं कि वो इन गौ भक्तों पर एक रिपोर्ट तैयार करे और दिखाए। उसे वाहियात बातों पर स्टोरी करने से फुरसत मिले तब न? लेकिन कोई बात नहीं, क्रांतिकारी मीडिया की परवाह नहीं करते, वे तो अपना काम करते हैं.
युवाशक्ति के प्रतीक मोहम्मद फैज़ खान को आदर-स्नेह से लोग ”भाईश्री’ ‘ कह कर भी बुलाते है। फैज़ के बारे में यहाँ मुझे बताना अच्छा लगेगा कि यह युवक रायपुर का है और बाल्य काल से ही सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित रहा है.वाद-विवाद प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगी, युवा महोत्सव वगैरह के अनेक आयोजनो में फैज़ की उपस्थिति रहती आयी है. अपने देश के महनायकों के जीवन का गहरा प्रभाव फैज़ पर पड़ा, उसे अच्छी कविता, अच्छे विचारो ने हमेशा प्रभावित किया, ऐसे युवाओं के मुस्लिम समाज के प्रति किसी का नज़रिया सकारत्मक हो जायेगा। फैज़ ने मुझे बहुत मान दिया, उसे मेरी प्रेरणा देने वाली कविताएं भी याद है. मेरी ही नहीं अनेक शायरों की रचनाएं उसे कंठस्थ हैं।
एक बेहतर सोच वाले युवा के रूप में फैज़ को मैं जानता तो था, मगर वह गौ माता का इतना बड़ा भक्त निकलेगा, इसकी कल्पना नही थी, दो साल पहले की बात है, जब हैदराबाद के एक विश्वविद्यालय में कुछ छात्रो द्वारा गौ मांस भक्षण उत्सव मनाया गया था. उस खबर को पढ़ कर मैंने दुखी मन से फेसबुक की अपनी वाल पर लिखा था कि इसके विरुद्ध प्रदर्शन होना चाहिए। मेरी बात को पढ़ कर फैज़ विचलित हो गया। उसने अपनी वाल पर लिखा कि अगले दिन मैं धरना स्थल पर अपने साथियो के साथ धरने पर बैठ रहा हूँ। उसके इस आह्वान का नतीज़ा यह हुआ कि अनेक लोग धरना स्थल पर पहुँच गए, मुस्लिम गौ रक्षा समिति के भाई मुज़फ्फर अली भी अपने साथियों के साथ वहाँ पहुच गए. दिन भर धरना दिया गया । इस घटना से लोग दंग रह गए, शर्मसार भी हुए कि जो काम हमें करना था, वो फ़ैज़ कर रहा है लेकिन मुझे गौरव हुआ कि फैज़ जैसे लोग गौ माता के लिए चिन्तित है.
फैज़ को जब पता चला कि मैंने भारतीय गायों की दुर्दशा पर एक उपन्यास (एक गाय की आत्मकथा) भी लिखा है तो उसने उसे पढ़ने की इच्छा की, तब मैंने उसे एक प्रति सप्रेम भेंट कर दी. उस कृति के कारण फैज़ के मन में और उत्साह जगा और गौ सेवा की दिशा में फैज़ के कदम कुछ ऐसे आगे बढ़े कि वह पूरी तरह गौ-मय ही हो गया.और देश भर में घूम-घूम कर गौ रक्षा के कम में लग गया। फैज ने जगह-जगह जा कर प्रवचन शुरू किया भारतीय संस्कृति की बात की, गौ रक्षा के लिए प्रेरित किया, मुझे यह देख कर अच्छा उसने मेरे उपन्यास एक गाय की आत्मकथा को भी समय-समय पर याद किया. यह फैज़ की विनम्रता है कि उसने अनेक बार यह कहा कि गिरीश पंकज के उपन्याम के कारण मुझे गौ रक्षा अभियान चलाने की करने की प्रेरणा मिली है. फैज़ ने अपने करके प्रकाशक से उपन्यास की सौ से ज़्यादा प्रतिया खरीदी और उसे साध्वी ऋतम्भरा, गोपाल मणि जैसे अनेक दिग्गजों को भेंट किया, आज के ज़माने में ऐसा कौन करता है? किसे की कृति का प्रचार करने का यह अद्भुत उदाहरण है
फैज़ खान का संकल्प था कि वह देश में गौ ह्त्या पर पूर्णतः प्रतिबन्ध की मांग को ले कर अपने सौ साथियों के साथ दिल्ली के जंतर-मंतर आमरण अनशन पर बैठेगा, तब मैंने उसके रायपुर प्रवास के दौरान आशंका जाहिर की थी कि इतने लोग जुट नहीं पाये तो? तब फैज़ ने कहा था कि कोई बैठे या बैठे, मैं तो बैठूँगा ही, और ऐसा ही हुआ. फैज़ ने कहा था कि वो 10 नवंबर को आमरण अनशन पर बैठेगा , उसे सौ लोग तो नहीं मिले, मगर खुशी की बात है कि उसके साथ आठ लोग आ गए. यहाँ मुझे यह भी बताना चाहिए कि सिविल इंजीनियर रेणुका शर्मा ने अपनी जमी-जमाई नौकरी छोड़ दी और उसने भी फैज़ के साथ कंधे से कंधा मिला कर गौ रक्षा का संकल्प ले लिया है . जंतर-मंतर पर आमरण अनशन पर बैठने वाले ये लोग हैं- १. श्रीमती संजुलता शर्मा – आगरा (उत्तर प्रदेश) २. श्री जीतेन्द्र भार्गव – सुजानगड़ (राजस्थान) ३. स्वामी श्यामाश्याम जी महाराज – आगरा (उत्तर प्रदेश) ४. श्री उत्तम प्रकाश – सुजानगड़ (राजस्थान) ५. मोहम्मद फैज खान – रायपुर (छत्तीसगढ़) ६. श्री मुकेश कुमार त्यागी – आगरा (उत्तर प्रदेश) ७. आजाद बृजपाल शर्मा – कुरुक्षेत्र (हरियाणा) ८. श्री बासुदेवशरण त्रिपाठी – ललितपुर (बुंदेलखंड) ९. श्री अरविन्द भारत – श्रीरंगपट्टनम (कर्नाटक) प्रणम्य ही है.
गुरु गोबिंद सिंघ जी ने कहा था , ‘सवा लाख से एक लड़ाऊँ , गुरू गोविन्द तब कहाऊं”. गौ सेवा के लिए आमरण अनशन पर बैठे ये लोग इतिहास बना चुके है , देश के विभिन्न हिस्सो से आकर ये गौ माता के भक्त अपनी जान की परवाह न कर के अनशन पर बैठ गए है. यह कितने गर्व की बात है कि फैज़ और उनके साथियों का समर्थन करने के लिए कोलकता में सुशील कुमार पाण्डे और उनके कुछ साथी भी अनशन पर बैठ गए है. काश, दिल्ली और कोलकता की तरह देश के अन्य शहरों में भी ऐसे अनशन शुरू हो पाते . मुझे उम्मीद है कि फैज़ और उनके तमाम साथियों की मेहनत रंग लाएगी और एक दिन पूरे देश गौ हत्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध . की मांग को लेकर लोग आमरण अनशन पर बैठेंगे। तभी सरकार पर दबाव बनेगा, गौ मांस का निर्यात रुकेगा, यह देश अपनी सांस्कृतिक स्मृति को भूल-सा गया है , उसे याद दिलाना ज़रूरी है. फैज़ जैसे युवको के कारण दिल्ली और कोलकता से गौ क्रांति शुरू हुयी है, अब यह पूरे देश में फैले। इस देश में क्रांति धीरे-धीरे असर करती है, लेकिन शुरुआत ज़रूरी है , यह हो चुकी है, और बात निकली है तो फिर दूर तलक जायेगी। जंतर-मंतर पर रोज़ अनेक लोग आ रहे हैं और फैज़ सहित सारे अनशनकारियों का हौसला बढ़ा रहे हैं। यह हौसला ही इन अनशनकारियों की ताकत भी है।